शनिवार, 9 नवंबर 2013

नमो नमो फेसबुक

आज से कुछ समय पहले की बात है। शायद मैं अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई के सातवें सेमेस्टर में था। एक नया फितूर चढ़ा था मुझपर फेसबुक का। पता नहीं क्या खास था इसमें पर हर आधे घंटे में एक बार अपडेट तो जाँच ही लिया करता था। हालांकी राजनैतिक घटनाएं उस समय भी फेसबुक का एक अहम हिस्सा थीं पर आज फेसबुक पर जो नमो जाप हो रखा है शायद यह इसको नीरस कर रहा है। मुझे नहीं लगता की आज तक मैनें ऐसा कोई पोस्ट देखा हो जिसमें राहुल गाँधी या सोनिया गाँधी की बड़ाई लिखी गई हो। हाँ इस बात से मैं इनकार नहीं करूंगा की कुछ मोदी विरोधी लेख जरूर वायरल किये गए थे पर वो भी मैंने जब भी देखा एक समुदाय विशेष के लोगों द्वारा किया गया था। खैर बात तो नमो जाप की थी तो वापस वहीं चलते हैं तो नमो जाप का असर इतना है की अगर आप गालियाँ खाने के शौकिन हैं तो बस फेसबुक पर एक बार बस नमो का विरोध करें। चाहे मजबूरी या फिर जबर्दस्ती पर आपको नमो जाप में हिस्सा तो लेना ही पड़ेगा। 

एक पत्रकारिता की बारीकी सीखता हुआ युवा होते हुए मुझे आज तक समझनहीं आया की यह मोदी नाम की लहर उठी कैसे है। मतलब जो युवा आज तक राजनीति से नफरत करता था आज वो मोदी को सुनता दिखता है। मोदी के फैक्ट्स और फिगर्स शेयर करता है। थोड़ा अजीब लगता है क्योंकी मुझे लगता है की गुजरात में शायद अब तक कोई ऐसी नीति तो नहीं अपनायी गई जिससे उसका व्यापक विकास हो सके और जिसे हर राज्य अपना सके। और नाहीं विकास के पथ पर गुजरात में मोदी शासनकाल में कोई ऐसा काम हुआ जिसने विकास के रथ पर उसे रातों रात दौड़ा दिया हो।

मैं मोदी का विरोधी नहीं या यूं कहुं की मैं तो उनका सीधा सा प्रशंसक हूं।तथ्यों का मोदीकरण करने और उनको अपने अंदाज में जनता के सामने रखने में शायद मोदी का कोई सानी नहीं पर जिस तरह से सोशल मिडिया अचानक से हाईजैक सा लगता है तो सवाल तो उठने लाजिमी से बनते हैं। 

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